हजारीप्रसाद दिवेदी का जीवन परिचय हिंदी में || Hajaree Prasad Life Introduction in Hindi || Class 12th " By Mineboard
जन्म = सन 1907
जन्म स्थान= दुबे का छपरा (बोलिया)
डा० हजारीप्रसाद दिवेदी जी का जन्म सन 1907 ई० को बलिया जिले के "दुबे" का छपरा " गांव में हुआ था/ इनके पिता का नाम अनमोल दिरिवेदी था/ माता भी प्रसिद्ध पंडित कुत्र की कन्या थी/इस तरह बालक हजारीप्रसाद को संस्कृत और ज्योतिष की पढ़ाई उत्तराधिकार में प्राप्त हुई/ और सन 1930 ई० में इन्होने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिषचार्य की उपाधि प्राप्त की /सन 1949 में लखनऊ विश्यविद्यालय ने इन्होने डी० लिट्० की उपाधि से सम्मानित किया सन 1950 में ये काशी हिन्दू विश्यविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर नियुक्त हुये/ और सन 1958 में ये राष्ट्रिय ग्रन्थ न्यास के सदस्य बने/ इसके bad सन 1960 ई० से 1966 तक ये पंजाब विश्यविद्यालय ,चंडीगढ़ में हिंदी विभाग के प्रोफेसर रहे/ 18 मई 1979 ई० को इनका निधन हो गया /
साहित्य सेवा=ड० हजारीप्रसाद द्रिवेदी का साहित्य विस्तत्त है/ कविता और नाटक के फिल्ड में इन्होने प्रवेश नहीं किया ये कहि-कहि जगहों पर भारतीय संस्कृत के स्मृत्ति - चिन्ह उभर कर आते है/ देश - प्रेम और मानव-प्रेम का व्यापक चित्रण इनके साहित्य के पटल पर अंकित है/ इनकी निबंधों का सबसे मुख्य गुण है किसी एक विषय को लेकर अनेक विचारो को छेड़ देना जिस तरह मधुमक्खी के छत को झंकृत करने से सभी मधुमक्खी बिखर जाते है/ आचार्य द्रिवेदी की भाषा शुध्द , परिमाजित प्रौढ़ और सरस् खड़ी बोली है/ इनकी भाषा में संस्कृत के तत्षम शब्दों के साथ उर्दू , फारशी एवम मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है/
Comments
Post a Comment