लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
ये लाइनें आईएएस अपराजिता सिनसिनवार पर बिलकुल ठीक बैठती है जिन्होंने यूपीएससी 2018 की परीक्षा में 82वी रैंक हासिल कर दिखाया कि, मुश्किलें कितनी भी क्यों न हो अगर जूनून हो कुछ कर गुजरने का हौसला तो बड़े स बड़ा काम भी आसान हो जाता है।
अपराजिता स्कूल के दिनों में औसत स्टूडेंट थी। यूपीएससी की परीक्षा के दौरान इन्हे चिकनगुनिया हो गया वो ठीक हुआ तो फ्रैक्चर हो गया लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। बिना रुके लगातार पढाई जारी रखी और अपनी म्हणत के दम पर अपना मुकाम हासिल किया। आइये जानते है उनकी कहानी-.
अपराजिता ने खुद बताया की पहले वह पढाई में औसत स्टूडेंट थी उनकी हैंडराइटिंग बहुत ख़राब थी जिसकी वजह से क्लास में टीचर से डाट पड़ती थी और मार्क्स भी काम मिलते थे। एक दिन तो टीचर ने कहा की मुझे तुम्हारी राइटिंग समझ में नहीं आती है और उन्होंने मार्क्स भी देने से मना कर दिया। इसके बाद मैंने ठान लिया की मुझे अब अपनी राइटिंग सुधारनी है और मैंने इसपर दिनरात म्हणत शरू कर दी।
अपराजिता ने बताया की उन्होंने अपनी पढाई नाना के घर पूरी की है और आईएएस बनाने का ख़याल यही से आया।उन्होंने बताया की एक बार ये अपने नाना के साथ बहार जा रही थी और एक आईएएस की गाड़ी देखकर अपने नाना से पुछा तो उन्होंने बताया की ये अफसर लोगो की समस्या सुनते है यह जानकार मैंने भी आईएएस बनने की ठान ली।
स्कूल की पढाई पूरी होने के बाद मैंने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस से डाक्टरी की परीक्षा दी और एमबीबीएस डॉक्टर बनने के बाद साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा दी। पहली बार सफलता नहीं मिली लेकिन मैं धैर्य के साथ तैयारी में लगी रही और दूसरी बार परीक्षा दी। तैयारी के दौरान चिकनगुनिया हो गया वो ठीक हुआ तो फ्रैक्चर हो गया लेकिन तब भी वो बिना रुके पढ़ती रही और दुबारा परीक्षा दी और आज नतीजा सबके सामने है, उन्होंने आखिर में सफलता हासिल कर ही ली।
अपराजिता के टिप्स -
अगर इंसान खुद से कमिटमेंट कर ले तो कोई भी उसके हौसले को डिगा नहीं सकता है।
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